03 August, 2013

मानव 2.0 – एक कहानी (भाग – 1)




कमर सीधी करके वो अपना आई – फोन चार्ज करने ही वाले थे की तभी पीछे से किसी ने आवाज़ दी। “चित्रगुप्त , चलो टाइम हो गया है” पीछे देखा तो यमराज अपने वाहन के साथ खड़े थे। चित्रगुप्त ने कहा “हाँ तो, आप जाइए ना” फिर थोड़ा रुककर बोले “आज किसकी आत्मा लेने जा रहे हो ?” यमराज ने थोड़ा झल्लाकर जवाब दिया “अबे भूल गया क्या? आज भगवान ने हमे किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात करने के लिए बुलाया है।“ चित्रगुप्त बोले “ओहो ये मै कैसे भूल गया” मेज़ पर रखे कागजो को समेटते हुए धीरे से अपने आप से कहने लगे “जब से ये आई – फोन आया है सब कुछ भूल जाता हूँ”। यमराज ने आंखे दिखाते हुए बोला “ज़ोर से बोलो”।

चित्रगुप्त बात काटते हुए पूछा “कितने बजे बुलाया है?”

“जल्दी करो, दस मिनट मे पहुचना है

चित्रगुप्त ने जवाब मे सिर हिला दिया।

भैसे (यमराज का वाहन) पर बैठे हुए यमराज और चित्रगुप्त ने, ना जाने कितने ब्रहमाण पार किये। थोड़ी देर के बाद वो हवा मे तैरते हुए एक सफ़ेद बादल पर उतरे। वहा उन्हे भगवान के चेहरे पर थोड़ी चिंता की लकीरे दिखाई देती है और वो कुछ सोचते हुए इधर उधर चक्कर लगा रहे होते है। वहा पर सिर्फ तीन कुर्सिया होती है और कोई सेवक भी नहीं होता है। यमराज ये देखकर थोड़ा आश्चर्यचकित होते है। दोनों जाकर भगवान को प्रणाम करते है। जवाब में भगवान फीकी सी मुस्कान के साथ बैठने का इशारा करते है। चित्रगुप्त और यमराज एक पल के लिए एक दूसरे को देखते है और फिर बैठे जाते है। अपनी कोहनी को बीच मे रखे गोल टेबल पर रखकर भगवान बोलने वाले होते है लेकिन तभी उनकी नज़र चित्रगुप्त के आई – फोन पर पड़ती है । उनकी चिंता की लकीरे ओर भी गहरी हो जाती है और गुस्से से वो खड़े हो जाते है । यमराज पूछते है ,”क्या हुआ भगवन, आप इतना चिंता मे क्यो दिखाई दे रहे हो?” भगवान चित्रगुप्त की ओर देखकर गुस्से मे बोलते है ,”ये आई – फोन देखा तुमने, ये है मेरे चिंता की वजह, जिधर देखो उधर ये आई – फोन , मोबाइल फोन, आई – पैड, लैपटाप।“ चित्रगुप्त भय और आश्चर्य के साथ पूछते है, “लेकिन इनसे तो चिंताए दूर हो जाती है भगवन, घंटो का काम मिनटों मे हो जाता है। इसका नया वर्जन तो ओर भी बढ़िया है।“  ऐसा कहकर वो भगवान की ओर अपना आई – फोन बढ़ाते है। पहले से ही परेशान भगवान उसे उठाकर नीचे फेक देता है। 

वो आई – फोन सीधा धरती की ओर गिरता है और विज्ञान के नियमो का पालन करते हुए वायुमंडल मे प्रवेश करते ही जल कर भस्म हो जाता है। उधर चित्रगुप्त और यमराज दोनों बहुत परेशान हो जाते है। वो सोचते है की इतना गुस्सा तो भगवान को मनमोहन सिंह के दुबारा प्रधानमंत्री बनने पर भी नहीं आया था।

आखिरकार भगवान तो भगवान है उन्होने अपना गुस्सा काबू किया और उन दोनों को बैठने का इशारा किया। चित्रगुप्त और यमराज डरते हुए बैठ जाते है। भगवान भी बैठ जाते है और कुछ पलों की चुप्पी तोड़ते हुए बोलना शुरू करते है, “तुम दोनों को याद है वो दिन जब हमने कई सालो की मेहनत के बाद प्रयोगशाला मे मानव को बनाया था। उसकी सफलता से हम इतने उत्साहित थे की हमे ऐसा लग रहा था इससे अच्छा तो कुछ नहीं बन सकता है। जब मनुष्य ने पहली बार कबूतरो का इस्तेमाल संदेश भेजने के लिए किया तो मुझे लगा की वो यही पर रुक जाएगे लेकिन वो नहीं रुके चिठ्ठियों को लिखने से मोबाइल मे एस एम एस लिखने तक आ गए। यहा तक भी ठीक था मुझे लगा था यहा तो वो रुक जाएगे। लेकिन फिर वो आई – फोन जैसे फोन का आविष्कार करने लग गए। यहा तक तो मेरे सब्र का बांध पूरा भर गया था। लेकिन वो तब टूट गया जब वो आई – फोन के भी नए - नए वर्जन बनाने लग गए। अरे बस करो...”

यमराज और चित्रगुप्त अपना चेहरा प्रश्नवाचक चिन्ह जैसा करके भगवान की ओर अपलक देखते रहते है और उनकी बात समझने की कोशिश करते है।

उनके चेहरे पढ़कर भगवान आगे बोलते है, “आई – फोन के नए वर्जन को देखकर मुझे लगता है की हमे भी मानव का नया वर्जन बनाना चाहिए“

“ मानव 2.0 “

यह बात सुनकर यमराज दुविधा मे पड़ जाते है और कहते है, “लेकिन भगवन इसकी क्या जरूरत है आपने जो मानव बनाया है वो आपकी उत्कृष्ट कृति है और इसमे सुधार की कोई गुंजाइश नहीं लगती

भगवन कहते है,”तुमने आज के इंसान की जरूरते देखी है, इन्हे देखकर ऐसा लगता है की मेरा दिया शरीर उनके लिए काफी नहीं है। जैसे की आजकल लोग मोबाइल को साथ मे इस तरह रखते है जैसे की वो भी शरीर का कोई हिस्सा हो, लोग साँस लेना भूल जाते है लेकिन मोबाइल चार्ज करना नहीं ।“

इंसान के नए वर्जन की आवश्कता पर बल डालते हुए भगवान कहते है, मुझे ये सब देखकर बहुत दुख होता है और इसलिए मै चाहता हूँ की नया वर्जन मानव की इन तरह की सब जरूरतों को पूरा करे। “

चित्रगुप्त अभी भी अपने आई – फोन को लेकर मन मे दुखी होता है। लेकिन फिर भी वो पूछता है की, “लेकिन ये सब कैसे होगा?”

भगवान अपनी योजना को समझाते हुए कहते है की, “सबसे पहले इंसान की नयी जरूरतों के बारे मे अनुसंधान होगा और फिर उसके हिसाब से जरूरी हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर मोड़िफिकेशन किए जाएगे। मै तुम दोनों को पृथ्वी पर जाकर अनुसंधान करने का आदेश देता हूँ और 30 दिन के अंदर अनुसंधान पत्र मेरे हाथ मे होना चाहिए।“

भगवान की ये बात सुनकर दोनों बहुत आश्चर्यचकित हो जाते है। लेकिन ये सोचकर खुश भी हो जाते है की इतने सारे देवताओ मे से उनको ही इस काम के लिए चुना। चित्रगुप्त ये सोचकर ओर भी खुश हो जाता है की इस बहाने उसके नए आई – फोन का बंदोबस्त हो जाएगा। दोनों भगवान से आशीर्वाद लेकर नरक के लिए प्रस्थान करते है।

अगले दिन सुबह सुबह चित्रगुप्त और यमराज कुछ दिनो के लिए पृथ्वी की ओर प्रस्थान करते है।

((शेष अगले भाग मे...)

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