31 January, 2013

वो आदमी मर गया..


शर्माजी डायनिंग टेबल पर बैठे हुए थे। थाली सामने रखी हुई थी। रोटी तोड़ने के लिए हाथ उठाया ही था की तभी वहा पर पड़ोस मे रहने वाले वर्माजी आ गये। भूख इतने लगी थी की उठने की इच्छा नहीं हुई।

शर्माजी – आइये वर्माजी, आप भी बैठ जाइए।“

वर्माजी – “अरे नहीं नहीं।“

थोड़ा संकोचवाश होकर वर्माजी ने कहा, आपको पता चला क्या?”

शर्माजी – “किस बारे मे?”

वर्माजी – “अरे, वो आदमी मर गया?”

शर्माजी – “कौन आदमी?”

वर्माजी – अरे वही जो कभी कभी आपके बगीचे की सफाई कर देता था और बदले मे आप उसे खाने का कुछ दे देता थे।“

शर्माजी – “अच्छा वो भिखारी जो चौराहे पर बैठा रहता है, लेकिन वो तो अच्छा भला था?”

वर्माजी  - “सड़क पार करते समय किसी गाड़ी ने टक्कर मार दी।“

शर्माजी – “बड़ा दुख हुआ सुनकर, भला आदमी था बेचारा। कभी कभी तो बगीचे की सफाई के बाद खाने का कुछ ना दो तो भी कुछ नहीं कहता था।

वर्माजी – “हाँ जब भी मुझे मिलता तो आपके बारे मे जरूर पूछता था।“

इस बीच मौके का फायदा उठाकर शर्माजी एक कौर खा ही लेते है। लेकिन तभी ज़ोर से रसोई की ओर देखकर ज़ोर से बोलते है, “आज सब्जी मे नमक कम है।“
वर्माजी भी मौके का फायदा उठाकर धीरे से डायनिंग टेबल पर बैठ जाते है।

प्रश्न – मौत बड़ी या भूख...??

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